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7 Jun 2021 · 1 min read

140. जिंदगी का सवेरा

जिंदगी से काफी तन्हा हूँ मैं,
नादान नहीं पर शायद अभी नन्हा हूँ मैं ।
शाम रात तो रोज होता है मेरी जिंदगी में,
पर सवेरा कब होगा मेरी जिंदगी का,
उसका इंतजार करता हूँ मैं ।।

अँधेरे में अपने भी भूल जाते हैं,
सभी को इंतजार है रोशनी का ।
हमारे दर पे जो हुआ उजाला,
उसे याद आने लगे वो पुरानी दोस्ती का ।।

जो नमकहराम की तरह हमारी,
नमकहरामी किया करते थे,
आज नमकहलाल बनने का,
वो ढ़ोंग किया करते हैं ।
उसे शायद लगने लगा है कि,
मेरा इंतजार अब बड़े लोग किया करते हैं ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 07/06/2021
समय – 09 : 07 (सुबह)
संपर्क – 9065388391

Language: Hindi
274 Views
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