“सवनाही”
सिरतो कहत हँव ममादाई
जिहाँ शिक्छा के अंजोर फइलगे हवे
उहाँ भूत-परेत कुछु नइये।
हमर बिलासपुर शहर म
अइसन कोनो किस्सा सुने बर नइ मिलय।
हरेली म रात-बिकाल घला
मनखे मन के आवाजाही लगे रइथे।
कोनो ल कुछु नइ होय
अउ न कोनो भूत-परेत देखे हे।
ए जम्मो ह मन के भरम आय ममादाई।
सवनाही-छत्तीसगढ़ी कहानी-संग्रह से…
जेकर लेखक हावय-
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य और लेखन के लिए
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त-2023