सलीका
मैं हूँ बेतरतिब मुझको जीने का सलीका सीखा दो,
बेरंग तस्वीर मेरी उसमें रंग भरने का तरीका सीखा दो।
एक अधुरा गीत गुनगुनाती हूँ रोज़ अकेले में,
महफ़िल में पेशकश की फ़रमाईश पर यारोँ,
उस ऩज्म को पेश करने का तरीका सीखा दो।
उनकी आँखों को पसंद आये मेरा सँवरना,
कुछ इसतरह के सँवरने का मुझको सलीका सीखा दो।
#सरितासृजना