” सर गंदे हैं “
कंचन की बड़ी दीदी की सात साल की बेटी रिया को एक ट्यूशन टीचर पढ़ाने आते थे , विचारों से बहुत पिछड़े हुये लेकिन उसकी दीदी को लगा की ठीक ठाक पढ़ा लेते हैं उनके विचारों से क्या मतलब….लेकिन इंसान सब कुछ भूल सकता है अपनी फितरत नही भूल सकता उन्होंने रिया को कहना शुरू किया की तुम ये क्या हाफ पैंट पहनती हो , स्लीवलेस फ्रॉक क्यों पहनती हो क्यों नही तुम चानू ( रिया के बड़े पापा की लड़की ) की तरह लंबे लंबे फ्रॉक पहनती हो….ये बात छोटी रिया को अच्छी नही लगी । दो दिन की छुट्टी में कंचन सर्प्राइज़ देने दीदी के घर आई तो रिया खुश की अब मासी के हाथ का बढ़िया खाना मिलेगा रिया ने फरमाईश की कि मासी मूंग दाल का हलवा ( रिया का फेवरेट ) खाना है ,कंचन किचन में गई रिया भी पिछे – पिछे मासी के साथ होली…हलवा बनाना शुरू किया और दूध लेने के लिए फ्रिज खोलने के लिए मुड़ी तो देखा की फ्रिज के बगल की नीचे की दीवार पर चॉक से लिखा था ” सर गंदे हैं ” इतना पढ़ना था की सबसे पहले कंचन ने गैस बंद की और रिया से पूछा ” क्या किया सर ने ” डर के रिया ने सब कंचन को बता दिया फिर कंचन ने पूछा मम्मी को बताया ? रिया ने ना में सर हिला दिया । अगले दिन सर आये कंचन ने उनकी अच्छे से खबर ली और समझाया की अब आइंदा किसी भी बच्चे के लिए आप ऐसी सोच नही रखेगें , सर शर्मिंदा थे और रिया किचन में जाकर अपना लिखा मिटा रही थी क्योंकि उसके मन की मुराद उसकी मासी ने पूरी कर दी थी ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा )