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11 Sep 2023 · 2 min read

*सर्वप्रिय मुकेश कुमार जी*

सर्वप्रिय मुकेश कुमार जी
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मुकेश कुमार जी का जाना इसलिए ज्यादा व्यथित करता है क्योंकि वह मेरे बचपन से मित्र रहे थे । हम लोग साथ-साथ खेले और कूदे थे । वह मेरे ताऊ जी के सुपुत्र थे, अतः घर और दुकान दोनों की ही हमारी निकटता रहने के कारण बाद में भी यह साथ बना रहा।
न जाने कितनी ही शव यात्राओं और तीजों में मैं और मुकेश जी दोनों साथ-साथ गए हैं। दुख में भागीदारी करना उनका स्वभाव था। प्रायः अचानक हुई घटनाओं की प्रथम सूचना भी उनसे ही मिलती थी। वह स्वयं में एक चलते-फिरते अखबार थे। सूचनाओं का अद्भुत स्त्रोत । कई सूचनाऍं तो ऐसी रहती थीं कि अगर वह न बताते, तो पता ही नहीं चलतीं; और अगर पता चल भी जातीं तो समय से उपलब्ध नहीं हो पातीं ।
उनकी सामाजिकता भी अद्भुत थी। जब हम मोहल्ले का हवन होली पर करते थे, तो वह दो सौ रुपए अपने तथा इतने ही ऋतु और राकेश के भी स्वयं लाकर देते रहे। ऐसा करने से उन्हें बड़ा भारी आत्मिक संतोष प्राप्त होता था।
परहेज के मामले में भी आप कठोर आत्मानुशासन के पक्षधर रहे। जब आपको डायबिटीज हुआ, तब आपने उन सारी वस्तुओं का त्याग कर दिया जिनमें चीनी होती थी। यहॉं तक कि शादी-विवाह आदि कार्यक्रमों में भी आप मिठाई से संबंधित वस्तुओं का सेवन नहीं करते थे। ऐसा कठिन परहेज करने वाला व्यक्ति कोई-कोई ही होता है।
उनका रामलीला के प्रति प्रेम भी असाधारण रहा। उन जैसा रामलीला का दर्शक शायद ही दूर-दूर तक कोई हो। जब रामलीला शुरू होती थी, तो वह पहले दिन से आखरी दिन तक रामलीला देखते थे। केवल इतना ही नहीं, प्रतिदिन जब रामलीला शुरू होती थी तब उसके पॉंच मिनट पहले वह सोफे पर जाकर बैठ जाते थे और जब रामलीला समाप्त होती थी; तब पूरी रामलीला देखकर ही घर लौटते थे। इस कार्य में न एक दिन का वह अवकाश लेते थे और न कभी देर से पहुंचने या जल्दी चल देने का अवरोध उनकी तरफ से आया। रामलीला के ‘पास’ जब बॅंटते थे, तब वह उस दिन सुबह जल्दी ही ‘पास वितरण स्थल’ पर पहुंच जाते थे और अपनी मनपसंद पहली पंक्ति का सोफा खरीदते थे तथा पहली पंक्ति में भी जिस स्थान पर बैठकर रामलीला का आनंद सबसे बढ़िया ढंग से लिया जा सके; उस नंबर का सोफा खरीदने में उनकी रुचि रहती थी।
उनका घुमक्कड़ स्वभाव था। मनमौजी थे। हमेशा खुश रहने वाले व्यक्ति थे। उनका जन्म 10 जून 1958 को हुआ था। इस नाते वह मुझसे लगभग सवा दो साल बड़े थे। 10 सितंबर 2023 को उनकी मृत्यु से मैंने एक भाई ही नहीं, एक मित्र और समाज ने एक आत्मीय व्यक्ति भी खोया है।
—————————————
रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
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