Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2023 · 1 min read

सर्द ऋतु का हो रहा है आगमन।

सर्द ऋतु का हो रहा है आगमन।
और ठिठुरा जा रहा कोमल बदन।
हो गया है ग्रीष्म का मौसम विदा।
गुनगुनी सी धूप को कर लो नमन।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/१०/२०२३

2 Likes · 1 Comment · 218 Views
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

सुप्रभात
सुप्रभात
Rituraj shivem verma
कब सीखोगे
कब सीखोगे
Sanjay Narayan
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ख्वाबों का सच
ख्वाबों का सच
Ritu Asooja
लोग कहते ही दो दिन की है ,
लोग कहते ही दो दिन की है ,
Sumer sinh
*सुख-दुख में जीवन-भर साथी, कहलाते पति-पत्नी हैं【हिंदी गजल/गी
*सुख-दुख में जीवन-भर साथी, कहलाते पति-पत्नी हैं【हिंदी गजल/गी
Ravi Prakash
दीदार ए चांद
दीदार ए चांद
Akash RC Sharma
चिकित्सक- देव तुल्य
चिकित्सक- देव तुल्य
डॉ. शिव लहरी
अब  छोड़  जगत   आडंबर  को।
अब छोड़ जगत आडंबर को।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"गुरु का ज्ञान"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सितम गुलों का न झेला जाएगा
सितम गुलों का न झेला जाएगा
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
दूसरे का चलता है...अपनों का ख़लता है
दूसरे का चलता है...अपनों का ख़लता है
Mamta Singh Devaa
दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे
दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे
Rj Anand Prajapati
----- स्वप्न सलौने -----
----- स्वप्न सलौने -----
पंकज परिंदा
एक शाम उसके नाम
एक शाम उसके नाम
Neeraj Agarwal
आजाद लब
आजाद लब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
2766. *पूर्णिका*
2766. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मंजिलें
मंजिलें
Mukesh Kumar Sonkar
बदल गयो सांवरिया
बदल गयो सांवरिया
Khaimsingh Saini
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
खुदा ने तुम्हारी तकदीर बड़ी खूबसूरती से लिखी है,
Chaahat
अब भी कहता हूँ
अब भी कहता हूँ
Dr. Kishan tandon kranti
..
..
*प्रणय*
शुभांगी।
शुभांगी।
Acharya Rama Nand Mandal
बचपन
बचपन
Sakhi
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
Harminder Kaur
बाल कविता: चूहा
बाल कविता: चूहा
Rajesh Kumar Arjun
सुर्ख कपोलों पर रुकी ,
सुर्ख कपोलों पर रुकी ,
sushil sarna
क्या हुआ की हम हार गए ।
क्या हुआ की हम हार गए ।
Ashwini sharma
कितना है वह असहाय
कितना है वह असहाय
Acharya Shilak Ram
Loading...