Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2022 · 1 min read

सर्दी

सर्दियों की चाहत है, गुनगुनी धूप
अदरक बाली चाय, गरम गरम सूप
मक्का की रोटियों, सरसों का साग
मां के हाथ का स्वाद, चूल्हे की आग
मैथी के परांठे, करते दिल वाग वाग
भजिए पकौड़े, गरमागरम मुंगौड़े
सेहतमंद लड्डू, मिल जाएं थोड़े थोड़े
सर्दियों का खान पान, गरम गरम परिधान
कड़कड़ाती ठंड, कुहरे से ढका आसमान
सर्दियों में घूमना देता सुकून है
सर्दियों का मौसम, मौसम का अफलातून है
नौजवान लोगों की, पहली पसंद है
उम्र दराज लोगों को,करती ये तंग है
सर्दियां गुलाबी सभी को पसंद हैं
कड़कड़ाती सर्दियों में रजाईयां पसंद हैं
सर्दियां सभी लिहाज से बहुत फायदेमंद हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

1 Like · 239 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
*
*"मजदूर की दो जून रोटी"*
Shashi kala vyas
मुद्दा
मुद्दा
Paras Mishra
बुद्ध फिर मुस्कुराए / मुसाफ़िर बैठा
बुद्ध फिर मुस्कुराए / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
!! हे उमां सुनो !!
!! हे उमां सुनो !!
Chunnu Lal Gupta
अनपढ़ सी
अनपढ़ सी
SHAMA PARVEEN
महत्व
महत्व
Dr. Kishan tandon kranti
..........?
..........?
शेखर सिंह
पहला अहसास
पहला अहसास
Falendra Sahu
कोरे कागज़ पर
कोरे कागज़ पर
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
डॉक्टर रागिनी
।। धन तेरस ।।
।। धन तेरस ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मासूमियत
मासूमियत
Surinder blackpen
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Every moment has its own saga
Every moment has its own saga
कुमार
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
औरत की अभिलाषा
औरत की अभिलाषा
Rachana
*तंजीम*
*तंजीम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कोई तो है
कोई तो है
ruby kumari
सुनो - दीपक नीलपदम्
सुनो - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
आदिवासी होकर जीना सरल नहीं
आदिवासी होकर जीना सरल नहीं
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
3341.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3341.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
विचारों की सुन्दरतम् प्रस्तुति का नाम कविता
कवि रमेशराज
अनमोल जीवन
अनमोल जीवन
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
दिल की भाषा
दिल की भाषा
Ram Krishan Rastogi
ग़ज़ल _ क्या हुआ मुस्कुराने लगे हम ।
ग़ज़ल _ क्या हुआ मुस्कुराने लगे हम ।
Neelofar Khan
।।  अपनी ही कीमत।।
।। अपनी ही कीमत।।
Madhu Mundhra Mull
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...