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23 Jun 2018 · 1 min read

सराय

सराय
पहले हम पति पत्नी थे,
अब मैं,उनकी पत्नी हूँ।
और यह घर,
जो पहले घर होता था,
और वे भी इसके बाशिंदे थे,
मौत नही हुई थी तब हमारी,
वरन, हम सोलहों आने जिन्दे थे,
अब रह गया है,महज एक सराय।
वे तो बस मुसाफिर हैं
आ जाते हैं यहाँ, चन्द घड़ियाँ बिताने।
या मुझे बरगलाने।
फिर मुड़ जाते हैं
कर चुकता संबंधों के किराये।
पहले तो आते रहे,कभी-कभार।
फिर,मैं करती रही इंतज़ार।
वे अब आए,तब आए,
मगर अब तलक न आए।
शायद,ढूंढ लिया
उन्होंने कोई दूसरा सराय।
-नवल किशोर सिंह
#नवल-वाणी

Language: Hindi
577 Views
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