“सरहदों से परे”
“सरहदों से परे”
चाहत की होती नहीं, कभी ना कहीं सरहदें,
सिर्फ अहसास है ये, रूह से महसूस करो।
हम चाँद में उनके अक्स देखे
हवा से सुनी उसकी यायावरी
झुकती आँखों में मयकशी देखे
खुलते जुल्फों से सीखी शायरी
सिर्फ अहसास है ये, रूह से महसूस करो।