सरहदें
पूरी है दुनियाँ एक
बांटा सरहदों में
इन्सान ने
अखंड भारत था
एक
इतिहास ने बना दिये
देश अनेक
अपनी सरहद की
रक्षा करते
वीर जवान
शहीद हो जाते
हँसते हँसते
सरहदों में बंट गई
इन्सानियत
एक दूसरे की
खून की प्यासी
हो गयी है
इन्सानियत
हर एक है
अपने , अपनों का
प्यारा
अमन चैन से रहे
जब सब
सरहदें हों शांत
उन्नति करे
हर देश
विकास करे
हर देश
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल