Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Sep 2020 · 1 min read

सरस्वती वंदना

?सरस्वती वंदना?

मां भारती ! सुरवंदिता !
विद्या विनय ! सुरताल दो !

मां ज्ञानदा ! सौदामिनी !
दो ज्ञान की तुम रोशनी !

मुझ पे कृपा अब डाल दो ।
विद्या विनय सुरताल दो ।।

दोषादि सब संहार दो,
लक्ष्यादि को संधान दो

नव नित हमें पड़ताल दो ।
विद्या विनय सुरताल दो।।

माँ ब्रह्म ज्ञानी! पावनी !
हे नंदिता सुखदायनी !

कुछ तीव्र गति की चाल दो,
विद्या, विनय, सुरताल दो।।

वागीश वीणावादिनीं,
हे शारदे हंसासिनी,

निज भक्तरूपी माल दो ।
विद्या विनय सुरताल दो ।।

कर जोड़ कर विनती करुं,
श्रद्धा सुमन अर्पित करुं,

सब कष्ट मेरे टाल दो ।
विद्या विनय सुरताल दो ।।

मां भारती ! सुरवंदिता !
विद्या विनय ! सुरताल दो !

अभिनव मिश्रा
( शाहजहांपुर )

Language: Hindi
4 Comments · 433 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*जरा सोचो तो जादू की तरह होती हैं बरसातें (मुक्तक) *
*जरा सोचो तो जादू की तरह होती हैं बरसातें (मुक्तक) *
Ravi Prakash
ऐ जिंदगी....
ऐ जिंदगी....
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बादल
बादल
Shutisha Rajput
💐प्रेम कौतुक-520💐
💐प्रेम कौतुक-520💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सहारे
सहारे
Kanchan Khanna
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
Shashi kala vyas
बाल गीत
बाल गीत "लंबू चाचा आये हैं"
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
फागुनी है हवा
फागुनी है हवा
surenderpal vaidya
तेरी यादें
तेरी यादें
Neeraj Agarwal
मेरा चाँद न आया...
मेरा चाँद न आया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"तोता"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
Sonu sugandh
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
ज़ैद बलियावी
■सामान संहिता■
■सामान संहिता■
*Author प्रणय प्रभात*
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मौन शब्द
मौन शब्द
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
केहिकी करैं बुराई भइया,
केहिकी करैं बुराई भइया,
Kaushal Kumar Pandey आस
मत सता गरीब को वो गरीबी पर रो देगा।
मत सता गरीब को वो गरीबी पर रो देगा।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पहले जैसा अब अपनापन नहीं रहा
पहले जैसा अब अपनापन नहीं रहा
Dr.Khedu Bharti
कोहरा और कोहरा
कोहरा और कोहरा
Ghanshyam Poddar
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
नींद
नींद
Diwakar Mahto
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
कुछ खामोशियाँ तुम ले आना।
Manisha Manjari
रिश्ते दिलों के अक्सर इसीलिए
रिश्ते दिलों के अक्सर इसीलिए
Amit Pandey
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी
अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी
Sarfaraz Ahmed Aasee
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
*रंग पंचमी*
*रंग पंचमी*
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
Loading...