सरस्वती वंदना
**सरस्वती वंदना**
हे विष्णुप्रिया हे शिवानुजा
मैं तुझमें ध्यान लगाता हूं
तू कमल नयनी तू पद्मासनी
मैं तेरी महिमा गाता हूं!
हे विणा वाहिनी मात सरस्वती
जीवन में कलरव भरती तू
तू वाग देवी तू हंस वाहिनी
मैं चरणों में तेरी सीस झुकाता हू!
हे वागेश्वरी हे स्वर दात्री
तेरी स्तुति मैं गाता हूं
तू ज्योति रूप तू मंगल कारिणी
तेरी कृपा से ज्ञान दीप जलाता हूं!
कर पथ-प्रदर्श हे माया योगिनी
है वेद ऋचाओं की वाणी तू
तू भारती है तू ही वागेश्वरी
नित वंदन तेरा ही अलख जगाता हूं!
तेरी स्तुति गाते रहते चारों वेद पुराण
तू ही गीता, रामायण तू ,है तू ही कुरान
तू स्वर रागिनी हे प्रकृति रुपिणी
घट घट में छवि ही तेरी मैं पाता हूं!
तू चाहे तो महामूर्ख भी बन जाए कालिदास
तेरी कृपा से वाल्मिकी ने किया प्रथम काव्य उच्छास
तू सत्येन्द्र साधिके तू ही बाह्मणी
मन मस्तिष्क में हरदम तुझको ध्याता रहता हूं!
****** सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी)******