*सरल हृदय श्री सत्य प्रकाश शर्मा जी*
सरल हृदय श्री सत्य प्रकाश शर्मा जी
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सत्य प्रकाश शर्मा जी साधुता के पर्याय हैं। उन जैसा निश्छल हृदय भला किसका होगा ! अंतर्मन की पवित्रता उनमें हिलोरें मारती है। कक्षा 6 से 12 तक मैंने सुंदरलाल इंटर कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की। उस दौर में वह विद्यालय के प्रधानाचार्य थे। प्रशासनिक पद पर रहते हुए भी वह सब प्रकार की कटुताओं से परे थे। उनका सद्भाव उनकी विशेषता थी। समन्वय और संवाद उनके व्यक्तित्व को मुखरित करते थे। सभी छात्र इस बात के लिए आशा से भरे रहते थे कि प्रधानाचार्य जी किसी भी परिस्थिति में हमारे साथ बुरा नहीं करेंगे।
वह 1960 में अंग्रेजी के अध्यापक के रूप में सुंदरलाल इंटर कॉलेज में नियुक्त हुए। 4 वर्ष इस पद पर रहने के उपरांत 1964 में प्रधानाचार्य का पदभार उन्होंने ग्रहण किया तथा इस पद से वर्ष 1995 में अवकाश ग्रहण किया। अपने लंबे कार्यकाल में शायद ही कोई अवसर ऐसा आया होगा, जब उनका कोई विवाद किसी अध्यापक अथवा छात्र से हुआ हो। उन्होंने अपने प्रधानाचार्य-पद का वह दौर भी देखा जब विद्यालय वित्त-विहीन था। उन्हीं के कार्यकाल में विद्यालय प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त विद्यालय की श्रेणी में आया। कानून भले ही बदल गए हों ,लेकिन सत्य प्रकाश शर्मा जी का साधु-चरित्र अपरिवर्तित ही रहा। उन्हें भली-भॉंति ज्ञात था कि सुंदरलाल इंटर कॉलेज की स्थापना एक परोपकारी भावना के साथ हुई है। अतः इस उद्देश्य के साथ चलने में उनका पूरा सहयोग रहा। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय बनने से पहले और बाद के वर्षों में भी अगर सुंदरलाल इंटर कॉलेज की निष्कलंक छवि को कोई खरोंच तक नहीं आई, तो उसका श्रेय श्री सत्य प्रकाश शर्मा जी के साधु चरित्र को ही जाता है।
व्यक्ति का चिंतन उसके चेहरे पर साक्षात झलकता है। इस दृष्टि से सत्य प्रकाश शर्मा जी के मुखमंडल पर अद्वितीय आभा, तेज, शांति और संतोष के भाव प्रत्यक्ष देख जा सकते हैं । जीवन की आपाधापी में चेहरे पर ऐसा सुकून किसी-किसी को ही नसीब होता है ।
सुंदरलाल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के रूप में उन्होंने सदैव सद्भावनाओं का अनुभव किया। रिटायरमेंट के लगभग छह वर्ष बाद अपने एक लेख में उन्होंने लिखा था:-
“साठ के दशक में जब प्रबन्ध-समितियों के हाथ में अध्यापकों की नियुक्ति थी, उस समय प्रबन्ध-समितियाँ नियुक्ति के समय अध्यापकों से मोल-भाव किया करती थी। परन्तु आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि उस समय भी हमारे विद्यालय के अध्यापकों व कर्मचारियों को पूरा ग्रेड व पूरा वेतन सुलभ था। यदि कभी शासन से अनुदान प्राप्त होने में विलम्ब हो जाता, तो वेतन में कम पड़ रही धनराशि की व्यवस्था, प्रबन्धक महोदय द्वारा की जाती थी। लेकिन अध्यापकों को वेतन माह की पहली तारीख पर ही दिया जाता था। यह विद्यालय के लिए गौरव की बात है, कि यह परम्परा आज तक कायम है। रामपुर में लक्ष्मी-पुत्रों की कमी नहीं है। परन्तु सरस्वती के पावन मन्दिर के निर्माण की प्रेरणा ईश्वरीय-प्रसाद के बिना संभव नहीं है। विद्यालय-परिवार का विभागीय आदेशों का अक्षरशः पालन करना, प्रबन्ध-समिति में किसी भी प्रकार का कोई विवाद न होना, प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों का एक टीम के रूप में काम करना, विद्यालय के कर्मचारियों का किसी भी प्रकार से उत्पीड़न या शोषण न करना तथा छात्रों में अच्छे संस्कार भरना, इस विद्यालय की विशेषताएं रही है। मैं इस विद्यालय-वाटिका के माली श्री रामप्रकाश सर्राफ को बधाई देना चाहता हूँ जिसने इस विद्यालय रूपी उपवन को अपने खून-पसीने से सींचा है। जिसने अपने नाम के प्रचार को कोई महत्व न देते हुए निःस्वार्थ भाव से रामपुर की जनता की अद्वितीय सेवा की है। आज की उपलब्धि श्री रामप्रकाश सर्राफ, प्रबन्धक महोदय के ही कुशल निर्देशन, त्याग परिश्रम एवं सेवा भावना का परिणाम है।”
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि किसी भी निजी विद्यालय में अगर प्रबंधक के विचारों के साथ तालमेल बिठाते हुए चलने वाला कोई उपयुक्त प्रधानाचार्य उपलब्ध न हो पाए तो विद्यालय को मनोवांछित भावों के साथ विकसित करना लगभग असंभव हो जाता है। सुंदरलाल इंटर कॉलेज इस दृष्टि से बड़ा सौभाग्यशाली रहा कि उसे 1964 से 1995 तक के 31 वर्षों के प्रारंभिक जीवन-काल में सत्य प्रकाश शर्मा जी जैसे सत्यता के सॉंचे में ढले हुए व्यक्ति प्रधानाचार्य के रूप में मिल गए। इससे विद्यालय ने एक टीम के रूप में काम किया और न केवल जनपद बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी सच्चाई की एक मिसाल कायम की। सत्य प्रकाश शर्मा जी की एक सरल छवि हम सबके हृदय में विद्यमान है। दुबला-पतला शरीर, सॉंवला रंग, हल्के से घुंघराले बाल उनकी पहचान थी। सदैव सफेद कमीज पहनना उनकी आदत में शामिल रहा। हल्के बोलना, दूसरों की बातों को ध्यान लगाकर महत्व देते हुए सुनना, किसी का कभी उपवास न उड़ाना उनके व्यक्तित्व के असाधारण गुण हैं। उनके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की अनेकानेक शुभकामनाएं ।
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451