सरल सुगम हिंदी व्याकरण (जानने योग्य बातें – ई और यी, ए और ये ,एँ और यें)
करते है हिंदी लिखने में अकसर ये गलती
क्योंकि नहीं है ज्ञान लगाएँ कहाँ
ई और यी
ए और ये
एँ और यें
हिंदी नहीं है आसान समझ लो ज़रा
ग्रहण करो ज्ञान हिंदी व्याकरण का ज़रा
*हिन्दी लिखने वाले अक़्सर ‘ई’ और ‘यी’ में, ‘ए’ और ‘ये’ में और ‘एँ’ और ‘यें’ में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं ।
*कहाँ क्या इस्तेमाल होगा, इसका ठीक-ठीक ज्ञान होना चाहिए ।
जिन शब्दों के अन्त में ‘ई’ आता है वे संज्ञाएँ होती हैं क्रियाएँ नहीं,
जैसे: मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लुगाई, लगाई-बुझाई…।
इसलिए ‘तुमने मुझे पिक्चर दिखाई’ में ‘दिखाई’ ग़लत है… इसकी जगह ‘दिखायी’ का प्रयोग किया जाना चाहिए…। इसी तरह कई लोग ‘नयी’ को ‘नई’ लिखते हैं…। ‘नई’ ग़लत है , सही शब्द ‘नयी’ है… मूल शब्द ‘नया’ है , उससे ‘नयी’ बनेगा…।
क्या तुमने किताब से किताब मिलायी…?
( ‘मिलाई’ ग़लत है…।)
आज छात्र ने प्रधानाचार्य से मिलने की इच्छा जतायी…।
( ‘जताई’ ग़लत है…।)
उसने नयी फ्रॉक लायी…। (‘लाई’ ग़लत है…।)
अब आइए ‘ए’ और ‘ये’ के प्रयोग पर…।
बच्चों ने प्रतियोगिता के दौरान सुन्दर चित्र बनाये…। ( ‘बनाए’ नहीं। )
लोगों ने भगवान के आगे दुखड़े गाये। ( ‘गाए’ नहीं। )
दीपावली के दिन लोगों ने घर सजाये…। ( ‘सजाए’ नहीं…। )
अब प्रश्न उठता है कि ‘ए’ का प्रयोग कहाँ होगा..?
‘ए’ वहाँ आएगा जहाँ अनुरोध की बात होगी…।
अब आप काम देखिए, मैं चलता हूँ…। ( ‘देखिये’ नहीं…। )
आप लोग अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी के विषय में सोचिए…। ( ‘सोचिये’ नहीं…। )
ऐसा विचार मन में न लाइए…। ( ‘लाइये’ ग़लत है…। )
अन्त में ‘यें’ और ‘एँ’ की बात…
यहाँ भी अनुरोध का नियम ही लागू होगा… रिक्वेस्ट की जाएगी तो ‘एँ’ लगेगा , ‘यें’ नहीं…।
आप लोग कृपया यहाँ आएँ…। ( ‘आयें’ नहीं…। )
जी बताएँ , मैं आपके लिए क्या करूँ ? ( ‘बतायें’ नहीं…। )
मम्मी , आप डैडी को समझाएँ…। ( ‘समझायें’ नहीं…। )
*ध्यान देने योग्य बातें-
जहाँ आपने ‘एँ’ या ‘ए’ लगाया है , वहाँ ‘या’ लगाकर देखें । क्या कोई शब्द बनता है ? यदि नहीं , तो आप ग़लत लिख रहे हैं ।
आजकल लोग ‘शुभकामनायें’ लिखते हैं इसे ‘शुभकामनाया’ कर दीजिए । ‘शुभकामनाया’ तो कुछ होता नहीं , इसलिए ‘शुभकामनायें’ भी नहीं होगा ।
‘दुआयें’ भी इसलिए ग़लत है और ‘सदायें’ भी… ‘देखिये’ , ‘बोलिये’ , ‘सोचिये’ इसीलिए ग़लत हैं क्योंकि ‘देखिया’ , ‘बोलिया’ , ‘सोचिया’ कुछ नहीं होते ।