Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2019 · 1 min read

सरकार के बाप

सरकारों के बाप

जब भी
बदलती है सरकार
बदल जाती हैं नीतियाँ
नई नीतियाँ
बनाती है सरकार
अपने बाप के नाम पर
बदल जाती हैं
पुरानी नीतियाँ
जो थीं
पुरानी सरकार के
बाप के नाम पर
बदल जाती हैं
छात्र-छात्राओं की पुस्तकें
हो जाते हैं शामिल
पाठ्यक्रम में
नई सरकारों के बाप
निकाल दिये जाते हैं
पाठ्यक्रम से
पुरानी सरकारों के बाप
राष्ट्रहित सदैव
रहता है उपेक्षित

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
.......,,
.......,,
शेखर सिंह
खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है
VINOD CHAUHAN
कौन किसकी कहानी सुनाता है
कौन किसकी कहानी सुनाता है
Manoj Mahato
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जिंदगी जीना है तो खुशी से जीयों और जीभर के जीयों क्योंकि एक
जय लगन कुमार हैप्पी
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
#ॐ_नमः_शिवाय
#ॐ_नमः_शिवाय
*प्रणय प्रभात*
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
स्नेहों की छाया में रहकर ,नयन छलक ही जाते हैं !
DrLakshman Jha Parimal
समय एक जैसा किसी का और कभी भी नहीं होता।
समय एक जैसा किसी का और कभी भी नहीं होता।
पूर्वार्थ
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
जल प्रदूषण दुःख की है खबर
Buddha Prakash
गीत - इस विरह की वेदना का
गीत - इस विरह की वेदना का
Sukeshini Budhawne
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
Phool gufran
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
surenderpal vaidya
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
कुछ फ़क़त आतिश-ए-रंज़िश में लगे रहते हैं
Anis Shah
माना तुम रसखान हो, तुलसी, मीर, कबीर।
माना तुम रसखान हो, तुलसी, मीर, कबीर।
Suryakant Dwivedi
गुरूर  ना  करो  ऐ  साहिब
गुरूर ना करो ऐ साहिब
Neelofar Khan
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
पुष्प
पुष्प
Dhirendra Singh
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
मुझे तुम मिल जाओगी इतना विश्वास था
Keshav kishor Kumar
समाज का डर
समाज का डर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
इसरो का आदित्य
इसरो का आदित्य
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बेटियों ने
बेटियों ने
ruby kumari
2827. *पूर्णिका*
2827. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी नदी के मुहाने पर
किसी नदी के मुहाने पर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
लोगों के रिश्तों में अक्सर
लोगों के रिश्तों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है
Jogendar singh
পৃথিবী
পৃথিবী
Otteri Selvakumar
सफलता
सफलता
Paras Nath Jha
घर आ जाओ अब महारानी (उपालंभ गीत)
घर आ जाओ अब महारानी (उपालंभ गीत)
गुमनाम 'बाबा'
Loading...