सरकारी दामाद
सरकारी दामाद
सरकारी नौकरी ना भाये, सरकारी स्कूल ना आवे, सरकारी अस्पताल ना जाए, फिर भी सरकारी दामाद चाहिए!
बेटी पढ़े प्राइवेट स्कूल में, डॉक्टर हो नामी-गिरामी, रहे घर आलीशान बंगले में, फिर भी सरकारी दामाद चाहिए!
दहेज में सोने की चेन, गाड़ी चाहिए चमचमाती, नौकरी हो ऊंचे ओहदे की, फिर भी सरकारी दामाद चाहिए!
लड़के की परवाह ना कोई, बस चाहिए सरकारी नौकरी, भले ही हो वो बदसूरत, गंवार, या फिर निकम्मा, फिर भी सरकारी दामाद चाहिए!
है ये कैसी रीत समाज की, पैसे और पद की दौड़ है, इंसानियत कहीं खो गई, बस दिखावा ही ज़रूरी है!
सोचो ना तुम ऐसी बेटियां, क्या है सच्चा प्यार? दौलत और पद से मिलता है, सुख या सिर्फ़ तकरार?
बदलो अपनी सोच ज़रा, देखो इंसानियत को, पाओगे तुम अपना सुख, और सच्चे जीवन का जोड़!