सम्मान
सम्मान, सबके प्रति आदरभाव,
समतुल्य सभी का मान,
हमारी भारत भूमि की
संस्कृति का आधार है ।
हम भारतवासी
प्रकृति, सूर्य, चन्द्र, वायु, जल,
वृक्ष सर्व जगत के उपासक है ।
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के जगत में
हम ही तो संवाहक है।
जगत के सभी जीवों के प्रति
सम्मान का भाव
वैदिक संस्कृति का प्राण तत्व है ।
सबको सम्मान देने का भाव
चाहे वो विचार हो, वस्तु हो,
जड़ या चेतन जीव हो,
सदा व्यक्तित्व को निखारता रहता है ।
सम्मान का भाव हमें
प्रमाद में डूबने नहीं देता
सदैव हृदय प्रक्षालित करता रहता है ।
सम्मान से भरा हृदय
स्वयं सम्मान का पात्र बन
एक दिन अपना शिखर अवश्य छू लेता है।