सम्पूर्ण मतले वाली गजल
वज़्न – 22 22 22 22
अर्कान – फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन
काफ़िया – अर
रदीफ़ – गैर मुरद्दफ ( बिना रदीफ़ के )
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आधारित धुन–मैं पल दो पल का शायर हु…
हम आये है दूरी चलकर।
तुम यार मिलो हमसे खुलकर।1
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क्या डर बैठा कोई अन्दर।
जो बैठे शर्म हया लेकर।2
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गर वापस लौट गये आकर।
तुम पछताओगे फिर जमकर।3
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यह तेरी सोहबत का असर।
(यह तेरी सोहबत का’असर।)
रिन्द रहे जी पानी पीकर।4
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नैना तेरे है जादूगर।
मानेगे मुझको ये ठगकर।5
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मत देख सनम तू मुड मुडकर।
जादू करती है तिरी नजर।6
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मैं रह जाता बस लुट लुट कर।
तकती है जब तू रूक रूक कर।7
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भूले फरिश्ते भी रह गुजर।
सजदे में तेरे झुक झुक कर।8
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मत रोक सनम मुझको छूकर।
बढने दे आगे जी भर कर।9
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क्या हासिल होगा मरकर।
जीने दे तू मुझको हँसकर।10
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मत तड़पा तू मुझको दिलबर।
दे राहत कुछ दिल को मिलकर।11
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तू भर उड़ान पर फैलाकर।
छू ले जाकर के तू अम्बर। 12
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सिमटे मत डाली पर जाकर।
इतरा मत थोड़ा सा पाकर। 13
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बाहों में तेरी गिर गिर कर।
कर दू पूरी मैं मिरी उमर.। 14
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तेरे बिन तन्हा रह रह कर।
जीता हूँ टुकड़ो में मर कर। 15
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मैं भूल गया दुनियां की ‘डगर।
तेरी बाँहों में खत्म सफर। 16
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मत भाग काम से तू डरकर।
ख्वाबो को पूरा कर डटकर। 17
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मत जाग रात में है निशिचर ।
बस ख्वाब देख ने के खा ति र।18
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तेरी क्या हैं ओकात बशर.।
जब सारी दु नियाँ एक सिफर।19
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तो सुनले फिर यह बात डफर।
तू जी ले बस जर्रा बनकर।20
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जो दुनियाँ का मालिक ऊपर।
करता है सबको इधर उधर। 21
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नीली छ्तरी वाला ऊप्पर।
करता अपनी मेहर सब पर। 22
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फिर क्यो जीता तू घुट घुट कर।
चल दौड़ भाग उठ हिम्मत कर।23
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बाकी न रहे फिर कोइ कसर।
पूरी कर ले हसरत जमकर।24
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क्यो पाप करें फिर तू छिपकर।
जर्रे जर्रे पर उसकी’ नजर।25
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‘मधु’ कलम घिसाई कर हटकर ।
वरना क्या पा येगा लिख कर। 26
★मघु सूदन गौतम★