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5 Jul 2021 · 4 min read

समीक्षा

226 -आज की समीक्षा
समीक्षक – राजीव नामदेव राना लिधौरी’

दिन- सोमवार *दिनांक 5-7-2021

*बिषय- “बिजना” (बुंदेली दोहा लेखन)
आज पटल पै बिजना बिषय पै दोहा लेखन कार्यशाला हती।आज जितैक जनन नें लिखौ उने हम बधाई देत है कै कम सें कम नये बिषय पै नओ लिखवे की कोसिस तो करी है,भौत नोनों लगो। नोने दोहा रचे बधाई।
आज सबसें पैला श्री अशोक पटसारिया नादान जू लिधौरा से लिखत है कै पति से अपनी बात मनवाने के लाने पत्नी बिजना झल के खुस करवे में लगी है। अच्छे दोहे रच है बधाई।
बिजना झल रइ बैठ कें,परसो पति खों थार।
बात सुना दइ प्रेम सें,करन लगी मनुहार।।
मंदिर के अंदर लगे, बिजना झालरदार।
खूब झूलाबें भक्तजन,रस्सी गिर्री दार।।

2 श्री एस आर सरल जू ,टीकमगढ़ से के रय कै बिजली जावे के बाद बिजना ही काम आत है। सुंदर दोहे लिखे है। बधाई।
गरमी से दम घुट रई,धमका भौत सताय।
देहातन बिजली नईं,बिजना रव मन्नाय।।
जब बिजली होती नईं,बिजना आवै काम।
रुच रुच इयै डुराइए,मिलत भौत आराम।।

3 श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा ने बिंद्रावन कौ नौनौ वरनन करो है। दाऊ कौं बधाई पौछे ।
बिन्द्रावन में गोपियाँ,करने चलीं बिहार।
बिजना डुला लुभाउतीं,माधव मदन मुरार।।
राधा बैठीं श्याम सँग,रय रस बिजना डोल।
झलक पसीना की गयी,धुन बंशी रय घोल।।
4 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ लिखत है कै बांस के बने बिजना जीमे माहुर से सजावट करी भयी है भौय नोने लगत है।
बिल बढ़े न बी.पी. बढ़े,बिजना दे आराम।
बिन लाइट के भी हवा,देतई सुबह शाम।।
बिजना बनतइ बांस कौ,नोनौ रंगइ रूप।
माउर से सिंगार हो,बिजना,डलिया,सूप।।

5 श्री ‘प्रदीप खरे,मंजुल’,जू टीकमगढ़ से लिखत है कै बिजना के बिना नीम तरे आडे डरे रत है। शानदार दोहे लिखे है। बधाई मंजुल जी।
बिजना बिना गरीब खौं,गर्मी में नहिं चैन।
नीम तरै आड़े डरे, दिन कटबै ना रैन।।
बिजना बिना दिन न कटै, गर्मी में हर बार।
बिजली बारे हूक कैं, करबें अत्याचार।।

6 श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो सें लिखत है कै व्याब कें टैम मडवा तरे बिजना फेंकवे की रसम सोउ होत है। बढ़िया दोहे है बधाई महाराज।
बिजना की ठंडी हवा,जो डुलाय सो पाय।
थोडी़ मेहनत के करे,सुखी वही बन जाय।।
दूला मड़वा के तरें,बिजना फेंकन जाय।
चांवर कन्या मारती,अबै प्रथा दरसाय।।

7 डॉ सुशील शर्मा जू गाडरवाड़ा से लिखत है कै मन को बिजना झले से प्रेम संगीत झरत है भौत नौने विचार दोहन में रखे है डॉ साहब कों बधाई ।
मन को बिजना जब झले ,झरे प्रेम संगीत
खकरा महुआ फूल के ,याद दिवावें मीत।

भौत काम बिजना करे ,बड़ो है नंबरदार।
गुस्सा जब मन में चढ़े ,दे बलमा के मार।

8* श्री रामगोपाल जू रैकवार, टीकमगढ़ ने भौत नौनो व्यंग्य भरो दोहा रचो बधाई।
बिजना रखकें सामनें,अपनों मूड़ हिलाय।
ऊकौ बिजना जनम भर,पूरौ संग निभाय।।

9 श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र लिखत है कै आजकाल एसी कूलर के सामने बिजना बेकार हो गये है लेकिन बिजली चले जावे पै बिजना ही काम आत है। उमदा लेखन है बधाई।
नये जमाने की हवा, चली इस तरां यार।
पंखा कूलर सामने, बिजना भय बेकार।।
बिजली ने धोखा दिया, जिस दिन बरखुरदार।
बिजना उस दिन आपके, आवे कामे यार।।

10 श्री अभिनन्दन गोइल, इंदौर से कै रय कै जैठ मास में बिजना भौत काम आत है। बढ़िया दोहे लिखे है बधाई।
बिजना लै छज्जे चड़ीं, कथरी लई बिछाय।
जेठ -मास की रात जा , बातन में कड़ जाय ।।
परे मड़ा में दोऊ जन , गोरी बिजन डुलाय।
अबै न जइयौ हार खों , दुपर लौट तौ जाय।।

11 श्री अवधेश तिवारी) जू छिन्दवाड़ा नो नो जने सेवा में लगे है सो परे परे मुटिया गये है। अच्छे दोहे है बधाई।
इक उनकी मालिश करे,इक पानी अन्हवाय।
इक उनकी रोटी पुए,इक उनखे जिमवाय।
इक उनखे बिजना झले,और इक पान लगाय,
इक बोदा के देख लो,हो गए नौ चरवाय।।

12 श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ लिखत है के जब बिजली झटका देत है तो बिजना ही काम आवे है। अच्छे दोहे है बधाई।
बिजना जानो देह खो,देबै सुख आराम।
गरमी खो ठन्डो करे,दै सेजन पै काम।।
बिजली झटका दैत है,बिजना कामे आय।
रिस्तेदार भोजन करे,अन्लो देत ढुलाय।।

13 श्री शोभराम दाँगी नंदनवारा राम दरवार कौ नोनो चित्रण दोहा में कर रय है। बधाई
झाँकी बाँकी राम की, सिंहासन हरसात।
दास -दासियां बीजना, पल -पल पै ये डुलात।।
रंग -बिरंगे बीजना, बनते गोटा दार।
कला -कृती है हांत की, ठंड़ी लगै बयार।।

14 श्री कल्याण दास साहू “पोषक”,पृथ्वीपुर सभी दोहे भौत शानदार दोहे रचे है बधाई श्री पोषक जी
बिजना बनतइ बाँस कौ , रँग सें देत सजाय ।
नीचट-सौ डाँडौ़ लगा , पुंगू देत विदाय ।।
भरी दुपरिया जेठ की , पई-पाँउनें आय ।
खटिया पै बैठार कें , बिजना दयौ डुलाय ।।

15 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ ने बिजना सी डोलत फिरे वाह, शानदार दोहा रचे है। बधाई
बिजना सीं डोलत फिरें, बिजना न‌ईं डुलांयं।
उमस लगै लैबे हवा,अटा ऊपरै जांयं।।
कोमल कर लयं कामनीं, बिजना झालर दार।
डुला डुला कें डोलबें,न‌ई नबेली नार।।

16 श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जू टीकमगढ़ से लिखत है कि बिजली कि बिल समाधान बता रय है।
बिन बिजली बिजना चलै, हमने खूब चलाय।
जब जब बिजली जायगी,जेउ काम है आय।।
घर में जित्ते आदमी,उततै बिजना लाव।
बिजली बिल की का कनें,बढ़ गय ऊके भाव।।
– ईरां सें आज पटल पै 16कवियन ने अपने अपने ढंग से बिजना झले है। सबई नोनो लिखों है सभई दोहाकारों को बधाई।
?*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*?
समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़ (मप्र)

*एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़#

Language: Hindi
Tag: लेख
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