Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2022 · 1 min read

*मुस्कराकर डग को भरता हूँ (हिंदी गजल/गीतिका)*

मुस्कराकर डग को भरता हूँ (हिंदी गजल/गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
समस्याओं को यों अक्सर मैं नजरंदाज करता हूँ
मिलाकर हाथ इनसे मुस्कराकर डग को भरता हूँ
(2)
समस्याओं का अब हर वक्त बोझा मैं नहीं ढोता
यह फाइल में रखी हैं, तैरने इनमें उतरता हूॅं
(3)
मुझे भी चाहिए कोई तो गलती ढूँढ़ने वाला
इन्हीं की टोका-टाकी से ही मैं अक्सर सँवरता हूँ
(4)
कभी तो मिल ही जाऍंगे मुझे भी कीमती मोती
यही कुछ सोचकर मैं रोज सागर में विचरता हूँ
(5)
मुझे बस चाहिए रहने को घर-दो वक्त की रोटी
बहुत ज्यादा अमीरी से ,बहुत ज्यादा मैं डरता हूँ
(6)
हजारों साल का सामान मैंने घर में कब जोड़ा
जहॉं पर भी गया मैं, सौ बरस से कम ठहरता हूँ
(7)
मैं मिट्टी का हूॅं पुतला ,चार दिन की जिंदगी मेरी
मैं खुशबू फूल की हूँ ,रोज खिल-खिलकर बिखरता हूँ
(8)
रहस्यों से भरी है यह तुम्हारी दुनिया ऐ मालिक
सुना है देह मरने पर भी, मैं लेकिन न मरता हूँ
(9)
यहाँ के पैसे सुनते हैं, वहाँ पर कुछ नहीं चलते
यही बस सोच कर कर्मों का, अपने ध्यान धरता हूॅं
—————————————-
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

145 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
अपनों में कभी कोई दूरी नहीं होती।
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
विधवा
विधवा
Buddha Prakash
23/191.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/191.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
शीर्षक - कुदरत के रंग...... एक सच
Neeraj Agarwal
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
sushil sarna
*बोले बच्चे माँ तुम्हीं, जग में सबसे नेक【कुंडलिया】*
*बोले बच्चे माँ तुम्हीं, जग में सबसे नेक【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
हे महादेव
हे महादेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
22, *इन्सान बदल रहा*
22, *इन्सान बदल रहा*
Dr Shweta sood
** गर्मी है पुरजोर **
** गर्मी है पुरजोर **
surenderpal vaidya
आहट बता गयी
आहट बता गयी
भरत कुमार सोलंकी
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
Kishore Nigam
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
Mr.Aksharjeet
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
“पहाड़ी झरना”
“पहाड़ी झरना”
Awadhesh Kumar Singh
"अपने ही इस देश में,
*Author प्रणय प्रभात*
कोई उपहास उड़ाए ...उड़ाने दो
कोई उपहास उड़ाए ...उड़ाने दो
ruby kumari
राम है आये!
राम है आये!
Bodhisatva kastooriya
शक्तिहीनों का कोई संगठन नहीं होता।
शक्तिहीनों का कोई संगठन नहीं होता।
Sanjay ' शून्य'
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Kagaj ki nav ban gyi mai
Kagaj ki nav ban gyi mai
Sakshi Tripathi
गांधीवादी (व्यंग्य कविता)
गांधीवादी (व्यंग्य कविता)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आंख में बेबस आंसू
आंख में बेबस आंसू
Dr. Rajeev Jain
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
गुप्तरत्न
स्वप्न विवेचना -ज्योतिषीय शोध लेख
स्वप्न विवेचना -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहा- अभियान
दोहा- अभियान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरे स्वयं पर प्रयोग
मेरे स्वयं पर प्रयोग
Ms.Ankit Halke jha
चांद ने सितारों से कहा,
चांद ने सितारों से कहा,
Radha jha
Loading...