समान सवैया/सवाई छन्द, विधान
प्रिय साहित्य साधक/साधिकाओं आज हम एक मापनीमुक्त मात्रिक छन्द पर प्रयास करेंगे
समान सवैया/सवाई, छन्द मापनी मुक्त मात्रिक छन्द
32 मात्रा, 16-16 पर यति, अंत में गालल।
चार चरण चारो या दो-दो पँक्ति के समतुकान्त
उदाहरण
जबसे प्रेम किया है तुमसे, खोया रहता है मेरा मन।
प्रेम सुधारस को पीकर के, मस्त मलंगी हुआ आज तन।
धन्य हो गया जीवन सारा, एक प्रिये तुमको ही पाकर।
साथ निभाओगी मेरा, कहदो सौगंध आप खाकर।
अभिनव मिश्र अदम्य