Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2023 · 1 min read

समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश

समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
तापमान है न्यूनतम, प्रतिदिन होये क्लेश
–महावीर उत्तरांचली

1 Like · 189 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all

You may also like these posts

आज़ मैंने फिर सादगी को बड़े क़रीब से देखा,
आज़ मैंने फिर सादगी को बड़े क़रीब से देखा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तय हो, तय हो
तय हो, तय हो
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
दोहे -लालची
दोहे -लालची
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
चुनिंदा बाल कहानियाँ (पुस्तक, बाल कहानी संग्रह)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तुम आओ एक बार
तुम आओ एक बार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
■ सवालिया शेर।।
■ सवालिया शेर।।
*प्रणय*
" सर्कस सदाबहार "
Dr Meenu Poonia
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
Dr Archana Gupta
*जश्न अपना और पराया*
*जश्न अपना और पराया*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
‌‌भक्ति में शक्ति
‌‌भक्ति में शक्ति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ना धर्म पर ना जात पर,
ना धर्म पर ना जात पर,
Gouri tiwari
अब नहीं बजेगा ऐसा छठ का गीत
अब नहीं बजेगा ऐसा छठ का गीत
Keshav kishor Kumar
जिगर धरती का रखना
जिगर धरती का रखना
Kshma Urmila
SV3888 - Đăng nhập Nhà Cái SV3888 Casino Uy Tín. Nạp rút tiề
SV3888 - Đăng nhập Nhà Cái SV3888 Casino Uy Tín. Nạp rút tiề
SV3888
घर के कोने में
घर के कोने में
Chitra Bisht
खाक हुई शमशान में,
खाक हुई शमशान में,
sushil sarna
मेरा वोट मेरा अधिकार
मेरा वोट मेरा अधिकार
Rambali Mishra
कुहुक कुहुक
कुहुक कुहुक
Akash Agam
" दिल्लगी "
Dr. Kishan tandon kranti
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
तन्हाई बिछा के शबिस्तान में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"थोड़ी थोड़ी शायर सी"
©️ दामिनी नारायण सिंह
उसका शुक्र कितना भी करूँ
उसका शुक्र कितना भी करूँ
shabina. Naaz
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
" जीवन है गतिमान "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मुझको जीने की सजा क्यूँ मिली है ऐ लोगों
मुझको जीने की सजा क्यूँ मिली है ऐ लोगों
Shweta Soni
आओ थोड़े वृक्ष लगायें।
आओ थोड़े वृक्ष लगायें।
श्रीकृष्ण शुक्ल
Loading...