समाज के नजरों में बेकार हुँ साहब
समाज के नजरों में बेकार हुँ साहब
बाजार में बिकने को तैयार हुँ साहब
नाकारा निकम्मा दुसरे नाम होगए
मैं पढा़ लिखा बेराजगार हुँ साहब
वोट दे देने के बाद कुछ नही मिलेगा
मैं इतना तो समझदार हुँ साहब
शिर्फ मेरे भुखे मरने का सवाल नही
अपने परिवार का आधार हुँ साहब
कौन चाहता है लम्हे गिनकर दिन बिताना
मगर मैं क्या करुं लाचार हुँ साहब
तनहा लहू पसीना बनाकर बहा देंगें
जीतोड़ मेहनत के लिए बेकरार हुँ साहब