Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Dec 2020 · 1 min read

समाज का निर्माण

एक अकेला इंसान था
भूख प्यास से बेहाल था
ना प्रेम था ना एहसास
दारुण वृक्ष के समान था ।

एक एक मिलते गये
प्रेम एहसाह बनने लगे
रिस्तों की श्रंखलाएं बनी
और समाज का निर्माण हुआ ।

योग्यताऐं निखर रहीं थी
कार्य निर्धारण हो रहा
हर कोई चाहता था
उद्दोग में आहुति दे रहा था ।

प्रेम सम्बंध बढ़ रहे थे
माँ-बाप से आगे निकल रहे थे
हर कोई जिम्मेदार हो रहा था
समाज का निर्माण हो रहा था ।

कुछ विचारशील थे
कुछ शक्तिमान थे
कुछ कार्यकुशल थे
कुछ सेवा में सहनशील थे ।

कुछ आलसी थे
कुछ लालची थे
कुछ निकृष्ट थे
ये राजनीति से घनिष्ठ थे ।

फिर एकसाथ सब आगे बड़े
सुख दुःख साथ सहते चले
कुछ आगे निकल गए
कुछ वहीँ वस गये ।

समाज से प्रदेश बने
प्रदेश से बने देश
और बना संसार
राजनीति ने मचा दिया इसमें हाहाकार ।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 483 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all
You may also like:
भावनाओं का प्रबल होता मधुर आधार।
भावनाओं का प्रबल होता मधुर आधार।
surenderpal vaidya
शाहकार (महान कलाकृति)
शाहकार (महान कलाकृति)
Shekhar Chandra Mitra
शव शरीर
शव शरीर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
कवि रमेशराज
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
Sukoon
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
गूॅंज
गूॅंज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
2322.पूर्णिका
2322.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
प्रेम
प्रेम
Neeraj Agarwal
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
.......शेखर सिंह
.......शेखर सिंह
शेखर सिंह
निकलती हैं तदबीरें
निकलती हैं तदबीरें
Dr fauzia Naseem shad
घर एक मंदिर🌷🙏
घर एक मंदिर🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
😊कमाल है😊
😊कमाल है😊
*Author प्रणय प्रभात*
* straight words *
* straight words *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज बहुत याद करता हूँ ।
आज बहुत याद करता हूँ ।
Nishant prakhar
*
*"जहां भी देखूं नजर आते हो तुम"*
Shashi kala vyas
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
" है वही सुरमा इस जग में ।
Shubham Pandey (S P)
"प्रेरणा के स्रोत"
Dr. Kishan tandon kranti
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
परछाइयों के शहर में
परछाइयों के शहर में
Surinder blackpen
सुप्रभात प्रिय..👏👏
सुप्रभात प्रिय..👏👏
आर.एस. 'प्रीतम'
ढूंढें .....!
ढूंढें .....!
Sangeeta Beniwal
पंचचामर मुक्तक
पंचचामर मुक्तक
Neelam Sharma
उल्फ़त का  आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
उल्फ़त का आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
sushil sarna
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सार्थक मंथन
सार्थक मंथन
Shyam Sundar Subramanian
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए ।
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए ।
Buddha Prakash
Loading...