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18 Apr 2022 · 1 min read

समस्याओं से घिरा आदमी!

शीर्षक – समस्याओं से घिरा आदमी!

विधा कविता

परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो.रघुनाथगढ़, सीकर राज.
पिन – 332027
मो. 9001321438

समस्याओं से घिरा हुआ आदमी
झूलता है आस्थाओं के बीच में
मानता मजबूर हो अंध प्रणाली
पूजता है दूर नगर की मृतात्मा
बहलाता जीवन शेष विश्वास।
समस्या कभी नहीं समस्या!
समाधान ही समस्या होती।
बिखरे मोती चुन-चुन कर
एक सूत्र में फिर बंध जाते।
खण्ड-खण्ड को बांंध-बांध
कतरे-कतरे पर हो प्रहार
जड़ चेतन से सिचिंत भेद कर
उजड़ जाती है समस्या नित्य
पार हुआ जाता है विश्वास
निदानों की राह पड़कर ।
पुरातन संस्कारों के जीवन गीत
भूल! उलझ पड़ जाते विज्ञानी।
सत्य पला करता है परम्परा मे भी
विज्ञान हमेशा सत्य हो
यह कब साबित हुआ है।
शास्त्र फीका पड़ चुका,
यह सत्य कब घटित हुआ है।
न विरोध जीवन-मरण में है
न सब कुछ विज्ञान परे मिथ्या है
तुच्छ प्रपंच कब बुद्धि कही जाती
शेष विश्वास जगत का लेकर
शास्त्र पर न्योछावर हो जाना
सम्पूर्ण सत्य कब बना है।
विरोधी कुछ भी न प्रकृति में
अवरोध खुरापात है सिर्फ दिमाग की।

Language: Hindi
1 Like · 151 Views
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