समर्पण का नाम प्यार
विषय _ प्यार
प्यार की परिभाषा कहां तक समझ आएगी
जितना हम समझना चाहे उतना ही उलझाएगी
फिर भी इस प्यार के क़रीब जाते हैं हम
एक दूजे की बातों में खो जाते हैं हम
और फिर दिल कुछ इस तरह की बातें करने को तैयार रहता है
उसको बिना सोचे फिर ये मन बैचैन सा रहता है
चांद सा है तू और मुझे अपनी चांदनी बना ले
प्यार से प्यार कर मुझे और तेरी बाहों में समा ले
मेरी आंखों में चाहत है तेरे प्यार की और तेरे प्यार की मिठास है
तू सबसे प्यारा है मेरे लिए और सबसे ज्यादा खास है
समर्पण का रूप है प्यार, विश्वास का आधार है प्यार
गर निभा सके तो पूरी उम्र है प्यार,
रिश्तों की पहचान है प्यार।