समर्पण ईश्वर में
हरि का होकर हार गए, तो हरि का कैसे?
मांझी होकर नाव डुबाई, हो मांझी कैसे?
सेवक हो सेवाकर लेते, तो सेवक कैसे?
दाता बनकर भीख मांगते, तो दानी कैसे?
मानव होकर मांस नोचते, हो मानव कैसे?
पापा बनकर पाप सिखाते, हो दानव जैसे?
हरि का हो लो, अभी समय है, फिर ना तुम हारोगे?
हरि का बनकर खुद भी तरोगे, अपनों को तरोगे