समरसता
दूसरों का चरित्र हनन और मान मर्दन
मर्यादाहीन हो करने को विरोधी का दमन ।
कोई जब शब्दों को तोड़ता-मरोड़ता है
शब्दों में कुछ जोड़ता और कुछ छोड़ता है ।
यह राजनेताओं की कुटिल शैली है
गत दिनों में यह तेजी से फैली है ।
कुटिलता सब से नीचे के स्तर को छू रही है
लगता है इनमें ईन्सान की रूह नहीं है।
लेकिन कवि शब्दों को ऐसे निचोड़ता है
इनके तत्वों को निकाल कर ही छोड़ता है ।
तोड़-फोड़ से हुई हानि का कम, असर करता है,
कुटिल की कारस्तानियों को उजागर करता है
संतुलन एक फिर समाज में रहता है
झरना चारों तरफ समरसता का बहता है ।