समय
समय धन है,
और संसार का मूल्यवान भी
‘धन’ समय को नहीं खरीद सकता
पर ‘समय’-
धन का सृजन कर सकता है.
धन की नियति है
वह लौट सकता है
पर समय-
कहाँ लौट के आता ?
अस्तु,
समय रहते समय को पहचाने
इसे मान दें,
स्थान दें,
और अपने जीवन को
समय के साथ प्रवाहमय होने दें
यह समय है-
जो आपको बनाएगा
आपके प्रति पल के प्रयासों
और प्रयत्नों,
का लेखा
समय के पास है
और यही
आपको प्रतिष्ठित करेगा
शीर्ष पर
उसी अनुपात में
जिस अनुपात में
‘समय’ के साथ की है
साझेदारी.