समय भी देता है प्रेरणा …
समय की रफ़्तार है बहुत तेज़ ,
और मेरे कदम हो रहे निस्तेज ।
मुझसे समय के साथ चला नही जाता,
आखिर क्यों मुझ में साहस नहीं होता ?
मुझे किसी सहारे की आशा क्यों है ?
कोई मेरे लिए ठहर जाए आशा क्यों है?
समय कभी किसी के लिए रुकता है ?
वो नादान है जो यह प्रयास करता है।
समय अपनी रफ़्तार से चला जा रहा है ,
मेरा मन वर्तमान छोड़ अतीत में खो रहा है।
कभी अपना आत्म विश्लेषण करने लगूं,
तो कभी अपनी ही भूलों पर रोने लगूं ।
समय इसकी इजाजत नहीं देता इंसान को ,
वो बार बार पीछे मुड़के देखे अपने अतीत को।
और जब वोह इशारा कर रहा है तनिक सा ,
तो मुझमें भी जोश आ रहा है क्षणिक सा ।
पुनर्जीवित कर अपनी आशाएं और कामनाएं,
और कुछ शेष बची हुई जीवित अभिलाषाएं ।
पुनः उठ खड़ी हो गई हूं सब कुछ भूल कर ,
वक्त के कारवां के पदचिन्ह पहचान कर ।
अब मुझमें साहस भी है और स्फूर्ति भी ,
कदम से कदम मिलाने की फुर्ती भी ।
मैं कोई विकलांग नहीं जो सहारा ढूंढू ,
मैं तो अब बस अपने लिए अवसर ढूंढू ।
मुझे बस ईश्वर पर आशा है और विश्वास ,
एक वही है सदा मेरे लिए सबसे खास ।
अंततः अब वक्त की प्रेरणा व् ईश्वर का साथ,
नई मंजिलों के लिए दोनो का सिर पर हाथ।
पतन से उत्थान की ओर मैं हुई अग्रसर ,
जीवन को ढंग से जीने का मिला अवसर।
अब मृत्यु पर्यन्त तक नही रुकेंगे मेरे कदम,
चलते रहेंगे निरंतर जब तक धमनियों में है दम।