समय बीतता
समय बहुत बीतता गया जब
लगा हमें तो दगा हुआ है
मिला नही आज साथ तेरा
तभी मिरा दिल हरा हुआ है
हुई खता कोन सी न जानूँ
कही गयी पर खफा हुआ है
निहारता चाँद जब मुझे तो
यूँ चाँदनी को नशा हुआ है
रही लहू की पियास उसको
तभी उसे अब नशा हुआ है
खुशी मनी आज घर मिरे
सुनो तो लड़का हुआ है