समय की मांग
परिवर्तन के स्वर अधरों पर आने दो
तुम नयी क्रांति को आज मुस्काने दो..
मन की कोयल का गाना आज जरुरी है.
पीड़ित शोषित का दर्द उभर कर आने दो.
तुम बड़ो शून्य है साथ शून्यपति साथ तेरे .
नव युग का निर्माण आज हो जाने दो
चकराती है धरा उफनता सागर है ;
जन जन की मन की रीती गागर है ;
हर एक जीवन में मधुमास ,आज भर जाने दो ;
तुम नयी भोर को देखो ,और कल्पना नित्य नयी
दिनकर की किरणों से सींचो ,विवेक की फसल सही
सदभावों का श्रृंगार आज पूरे भू पर हो जाने दो ..
नारी का सम्मान मित्र फिर से स्थापित हो जाए
जला सको तो मन की विकृति जला डालो ”
बेटी की किलकारी पूरे घर में भर जाने दो ……