समय की दौड़..
समय से लगी यह कैसी दौड़ है
कि अपनो से ही लगी होड़ है
समय के साथ चलते है
अपनो से कम ही मिलते है …1
ज़माना दिखा रहा है अपना रंग
छूट रहा है अपनो का संग
बदल गया है जीने का ढंग
यह देख समय भी हो रहा दंग….2
पीछे लगे है हम जिनके सपनो के
भूल गये चहरे उन अपनो के
सपनो की इस चाहत ने ,
हमे किस मोड़ पर छोडा है
मोह के इस संसार मे ,
हमने अपनो से नाता तोडा है…3
आगे बढ़ने की होड़ में ,
कितने अपने छूट गए।
समय की इस दौड़ में,
अपने हम से रुठ गये।……4
समय को चलने दो अपनी गति से,
क्योकि इस पर कोई विराम नही
समय निकालो अपनो माता-पिता के लिए,
इनके चरणों से बढ़ कर कोई तीरथ धाम नही…5
– भागीरथ प्रजापति