समय का पहिया
समय का पहिया
घूम रहा है लगातार
घड़ी के कांटे की तरह
सूरज की तरह
भूमि की तरह
हे राही तुझे भी चलना होगा
आग और पानी के साथ
खाली पेट और आंखों की थकावट के लिए
रोटी और विस्तर के साथ
भूंख नींद प्यास जब ना सताए
तब समझ जाना मंजिल में हूं
जिनके लिए ना जाने कितने किया पाप
एक दिन उनसे बिछड़ना था
शायद तुम्हारा पश्चाताप भावी पीढ़ी के काम आए