समता का भाव
समता का भाव
फूल
उपवन को
महका रहे हैं
हर एक पर
खुशी लुटा रहे हैं
हर चेहरे को
खिला रहे हैं
पावन अहसास
करा रहे हैं
अगङे पिछङों का
भेद नहीं
किसी के
हिन्दू-मुस्लिम
होने का खेद नहीं
कितना समता का
भाव है
-विनोद सिल्ला©
समता का भाव
फूल
उपवन को
महका रहे हैं
हर एक पर
खुशी लुटा रहे हैं
हर चेहरे को
खिला रहे हैं
पावन अहसास
करा रहे हैं
अगङे पिछङों का
भेद नहीं
किसी के
हिन्दू-मुस्लिम
होने का खेद नहीं
कितना समता का
भाव है
-विनोद सिल्ला©