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30 Aug 2021 · 1 min read

समझौता

पतंग सी जिन्दगी है
ना जाने कहाँ जाये
किस पेड़ की डाल में
फँस उलझ जाये
कैसे अस्तित्व को बचाए
हर कोई खडा यहाँ
कच्चे पक्के धागों की
ले हाथों मे चर्खियाँ
खींचने को अपनी ओर
पर पहिचान कर
सद को चुनना है
समझौता कर जीवन
भर साथ चलना है

हर कन्या सुन्दर पतंग
सी है यहाँ पर
जिन्दगी उसकी किसी
ओर के हाथ थमी है
ना जाने कब खींच दी
जाये और फट जाए
घर हो या बाहर
सब ओर समझौता
कर चलना है
डोर से कट वजूद
अपना खो देती है जा
पड़ती किसी नाले में
यहाँ समझौता शब्द
खो देता है अपना
~अर्थ~

Language: Hindi
80 Likes · 1 Comment · 480 Views
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