समझौता दिल से
टूटे दिल ने अब अरमानों के गुलशन बनाना छोड़ दिया ।
सच के आईने में झूठ को सँवारना छोड़ दिया ।
प्यार की रुस़वाई जब से हुई ज़माने में जज़्ब करना सीख लिया ।
ख्वाबों के टूटे प़समंजर में आँखों ने दिन रात जागना सीख लिया ।
बहारों के इंतजार में संग होकर रह गई हैं ये आँखें ,
अब तो ख़िज़ाओं में दिल बहलाना सीख लिया ।