समझदार हैं वो इशारा ही काफी
समझदार हैं वो इशारा ही काफी।
उन्हें तिनके भर का सहारा ही काफी।
मुझे हमसफ़र ने दगा दे दिया था
मुझे डूबने को किनारा ही काफी।
मैं क्यों आसमाँ, मन्नतें तुझसे माँगूँ
मुझे टूटता एक तारा ही काफी।
तिरी दीद कर ली, मेरी ईद हो ली,
हटो जन्नतों ये नज़ारा ही काफी।
मुझे सैर करनी, तेरे नैन झेलम
जवां दिल का छोटा शिकारा ही काफी।
नए हमसफ़र ! जिंदगी के सफर में
मुझे साथ केवल तुम्हारा ही काफी।
जिनसे मुझे इश्क, ना भी मिलें तो
मुझे उस बदन का उतारा ही काफी।
संजय नारायण