समझदार मतदाता
वोटर समझदार है कह कर फुसलाते हैं,
बस ऐसे मतदान के दिन बेवकूफ बनाते हैं ।
कराते हैं एकदिन प्रलोभन और गर्व का एहसास, कि वोट के अधिकार की ताकत है उसके पास ।
वोटर का मताधिकार कि हाकिम बना सकता है,
वो रंक को राजा बनाने की ताकत रखता है ।
हाकिम के पांच साल के कारनामे भूल जाता है,
फैलाई गई ईर्ष्या और नफरत भी भूल जाता है ।
5 साल का आक्रोश और गुस्सा रहता याद नहीं,
जब राजनेता प्रलोभन की कर लेता है ईजाद नई।
दंगे, आगजनी, बलात्कार, कानून व्यवस्था,
पृष्ठभूमि में धकेल, ले आते हैं एक नई कथा।
कानून की अनदेखी, अपराध को आश्रय है देता,
चुन लेते हैं तथाकथित समझदारी में कैसा नेता ।
जो नेता ईमान छोड़ स्वार्थ में बिक जाता है,
वोटर के विश्वास को स्वार्थवश धता बताता है ।
मतदाता की समझदारी तो भ्रम को तोड़ने में है,
नकारा और अपराधी प्रतिनिधि को छोड़ने में है।