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27 Jun 2020 · 1 min read

समझदारी

1- नफ़रत की तरफ़दारी ठीक नहीं
मज़हब की ठेकेदारी ठीक नहीं

खुद को सबसे बेहतर समझते हो
आपकी यह समझदारी ठीक नहीं।

2- यहाँ कब बिगड़े हालात को सँभाला जाता है
यहाँ तो बस सियासी मुद्दा उछाला जाता है

अपनी अपनी रोटियाँ सेकतें है सियासतदाँ
क्या परवाह किसके मुँह का निवाला जाता है।

3- कोशिशें जारी रखो मुक़द्दर बन ही जाएगा
क़तरा क़तरा कर के समंदर बन ही जाएगा

हौंसला ना हारना अगर चाहते हो बुलंदियाँ
जो जीत जाएगा वो सिकंदर बन ही जाएगा।
……… अर्श

Language: Hindi
1 Like · 513 Views
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