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14 Jul 2024 · 1 min read

समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।

समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
कुछ *मर्यादाएं ,उसूल *है वरना मैं किसी की नहीं सहता।।

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