सब समझें पर्व का मर्म
भाई और बहन के प्रेम
का प्रतीक है रक्षाबंधन
हर साल यह करता है
प्रीति का पुनरावलोकन
एक दूजे के लिए दोनों के
मन में रहता खास लगाव
राखी पर्व भरता है दोनों के
मन में और विशेष उछाह
युगों युगों से सनातनी निभा
रहे हैं इस त्यौहार की रस्म
इसके जरिए पुष्ट करते वो
पारस्परिक प्रीति का बंधन
हर भाई अपनी बहन को देता
है दिल से रक्षा का आश्वासन
फिर भी जब तब अनाचार की
सुर्खियां करती ध्यानाकर्षण
भौतिकता की चकाचौंध में
भूल रहे हैं लोग अपना कर्म
हर बहन खुशहाल होगी तभी
जब सब समझें पर्व का मर्म