सब मोह माया का संसार है
अब किसको किससे प्यार है
सब मोह माया का संसार है
हर व्यक्ति सोचता है लाभ हानि
अब जीवन एक व्यापार है
सब मोह माया का संसार है
रिश्ते अब कहां हृदय तल से चलते हैं
सब काम कपट और छल से चलते हैं
रब को भी न पूछे मानव यदि स्वार्थ न हो
निजी स्वार्थ पे ही आधारित व्यवहार है
सब मोह माया का संसार है
भले बुरे की कौन अब परिभाषा पढ़ता है
जिसे देखो वो लाभ की आशा गढ़ता है
पाप और पुण्य की चिंता अब किसको है
जिसमें धन लाभ हो वही काम स्वीकार है
सब मोह माया का संसार
चापलूसी बन गई आजकल की राजनीति
अपना हित साध लो यही है अब कूटनीति
जो लंबी चौड़ी हांक सके उसका स्वागत है
सत्य तक जो सीमित है उसका तिरस्कार है
सब मोह माया का संसार है