सब में ईश्वर
सब में ईश्वर ,सब में अल्ला ,सब में है भगवान रे
सब में ही तो दौड़ रहा है, एक खून एक प्राण रे
कोई ईश्वर, कोई अल्ला, कोई कहे से राम रे
उसके तो है नाम अनेकों ,लड़ता क्यों इंसान रे
मन मंदिर की, ज्योति जलाओ,
प्रेम शांति की ,अलख जगाओ
छोड़ो नफरत की बातों को, प्रेम करो इंसान रे
सब में ईश्वर ,सब में अल्ला सब में ही राम रे
उसके तो है नाम अनेकों ,लड़ने का क्या काम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी