— सब मिला फिर भी रोना —
ऐसे ऐसे लोग यहाँ मिलते हैं
होता सब कुछ फिर भी रोते हैं
अपने गुप्त सब अंदर होते हैं
फिर घडियाली आंसू क्यूं बहते हैं !!
अच्छा पैसा,अच्छा घर होते हुए
न जाने फिर क्यूं रोना है
ऊँचे पद पर बैठे हो दुनिया में
फिर क्यूं हर पल रोते रहते हैं !!
करते हैं ऐश सरकारी खाते से
फिर किस बात की कमी है
और कितना चाहिए जीने को
फिर भी अधूरी सी जिन्दगी है !!
हर दम रोते रहने वाले लोगो
उप्पर वाले का शुक्रिया किया करो
जितना मिल रहा है जेब में
उस से ही घर चला लिया करो !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ