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15 Nov 2022 · 1 min read

सब भूलेंगे जरूर

दिन / रात एक दिन कटेंगें जरूर
मंजिल भी आएंगी
सब भूलेंगे जरूर
एक दिन सफर के रास्ते
ख़त्म होंगें जरूर

किसकी तलाश हैं ?
अपने शाश्वत आकक्षाओं के
मिटा दे इन्हें, थोड़ा आनन्द लें
इन भुवनों के अभिलाशाओं को।

इंतजार है वक्त के चाह की
क्यों, किसलिए, किसके लिए !
वर्तमान है इसी के आमंत्रण में
तू रह सदा आनन्द में परिपूर्ण ।

संघर्ष भी हैं, तपन भी
सागर के पानी चंचल नहीं
इस जलसा से थोड़ा दूर
नदियाँ बन, पर्वत धार बन
इन क्षणिक कठिनाइयों को
ये सफर को पार कर तू
और अपने कान्ति बत्ती तू बन !

Language: Hindi
1 Like · 120 Views
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