सब तेरा हो गया
उनकी महफिल में तेरा यूँ चर्चा हुआ
तू वहीं पर तो था..गुमशुदा क्यूं रहा
जब मोहब्बत की बाँतें किनारों ने की
एक टपका जो मोती समंदर बहा।
हाथ धीरे से छोड़ा था तूने मगर
इस ज़ेहन में तेरा ख्वाब हर सूं रहा
इस तरह बात दोनों करें आज भी
तू मेरे झूठ सुन औ तेरे सच बता
नींद में पैर उसने छुए हर दफा
तेरे आँगन में जब जब भी घुँघरू बजा
चार पल तेरी बांहों में बीते थे बस
ज़िन्दगी ने कहा चल बहुत जी लिया
रोशनी एक दूजे को देते रहे
तू मेरा सूर्य था मैं तेरा इक दीया
मैं हूँ तेरी मुझे देखना बाद में
पहले नज़रो से छू के मुझे तू सजा
व्रत किया तेरी खातिर कभी इस तरह
न तो जल ही पिया ना ही आँसू पिया
अब ये संभव नहीं कुछ कभी दे सकूँ
अब मेरा क्या रहा, सब तेरा हो गया।
रश्मि संजय श्रीवास्तव
रश्मि लहर
लखनऊ
मो. 9794473806