आली रे आली ये दिवाली….
आली रे आली ये दिवाली
नही है अब ये दिलवाली
होंठों पे फरेबी मुस्कान
और जेब है खाली
पटाखो की जगह अब
बजा रहे हैं हाथों से ताली
वाह ये तो है गजब वाली
काली काली रातें
वो अमावस्या वाली
रोशन करने को जलाते हैें
लड़ी वो दियों वाली लेकिन
मन मे है अंधेरा और
लगता है सब खाली खाली
पूजा पाठ भी रह गई है अब
बात रस्म अदायगी वाली
नही आती किसी पड़ोसी के यँहा से
वो खील बताशों की थाली
चला है नया चलन और भेड़ चाल
दिवाली रह गई है गिफ्ट वाली
नही है इसमे कोई बात शगुन वाली
वाह रे वाह नई ट्रेंड वाली दिवाली
आली रे बाबा आली ये दिवाली……….
#निखिल_कुमार_अंजान…….