सब अपना नाटक कर गए
हम विनय का हाथ जोड़े देर तक तकते रहे
लगा अभी कहेँगे, अरे कितने आंसू बह गए
रोकता था शोर गुल को, बाबा मेंरे सोये है
पर दीवाने लोग कहते बाबा हमको तज गए
मैंने चुप्पी साध ली, पत्थर कलेजा कर लिया
थामना थे दिल के आंसू, वो उफन कर बह गए
अभी परसो ही तो कह रहे दूर कभी तू मत होना
लेटे है मेरे सामने पर दूर कितना कर गए
है निराली रस्म कितनी आखरी स्नान की
गंगाजल संग कितनी यादें कितने बादे बह गए
अर्थी बांधी, चार कांधे और चल दिए हम साथ में
कितने अपने उनके पीछे, मुझको ही पराया कर गए
खरोच मेरी होती थी और दर्द मेरे बाबा को
दुष्ट हूँ मैं, आग दे दी, जिसमे बाबा जल गए
घर है उजड़ा जग है सूना और अंधेरा घना
डर रहा हूँ सहमा हूं कमजोर कितना कर गए
याद आई बात उनकी, बस पीछे ही हूँ पर्दे के
ये रंगमंच है रंगमंच, सब अपना नाटक कर गए