सब्र****
कितना भी ऊंचा कर ले
कद्द ये दरख्त
फैला लें चार दिशाओं में
अपना जाल
जब सूरज निकलेगा
अंधेरा छंट जायेगा
मामूली झरोखों से भी
रोशनी ले आएगा
बस तू सब्र रख
न घबराना इनकी
तू ऊंचाई से
चलना अपने पथ पर
हमेशा बस सच्चाई से….
कितना भी ऊंचा कर ले
कद्द ये दरख्त
फैला लें चार दिशाओं में
अपना जाल
जब सूरज निकलेगा
अंधेरा छंट जायेगा
मामूली झरोखों से भी
रोशनी ले आएगा
बस तू सब्र रख
न घबराना इनकी
तू ऊंचाई से
चलना अपने पथ पर
हमेशा बस सच्चाई से….